Truth of Terror Attack on 22 April in Pahalgam of Kashmir Valley 2025 (in hindi)



2025 का पहलगाम हमला: एक विस्तृत विवरण

घटना का पूरा विवरण

बाइसरण घाटी, जिसे अक्सर "मिनी स्विट्ज़रलैंड" कहा जाता है, घने देवदार के जंगलों से घिरी एक खूबसूरत घास का मैदान है। 22 अप्रैल 2025 को, जब यह इलाका पर्यटकों से भरा हुआ था, पांच आतंकवादियों ने एक भयानक हमला किया। ये आतंकी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और उसके मोर्चे संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जुड़े थे।


आतंकवादी सैन्य वर्दी पहनकर, AK-47 और M4 कार्बाइन जैसे हथियारों से लैस थे। उन्होंने पर्यटकों को उनके धर्म के आधार पर अलग करना शुरू किया। उनसे इस्लामी आयतें पढ़ने को कहा गया; जो नहीं पढ़ सके, उन्हें गोली मार दी गई। कुछ मामलों में पुरुषों को अपने पैंट उतारने को मजबूर किया गया ताकि उनके धर्म की पहचान की जा सके। एक स्थानीय मुस्लिम टट्टू ऑपरेटर, सैयद आदिल हुसैन शाह ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की और आतंकवादियों ने उन्हें भी मार डाला।


हमले के बाद बचे लोगों ने बताया कि हमलावरों ने शवों के साथ सेल्फी लीं और एक महिला को जिंदा छोड़ दिया ताकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस घटना का संदेश पहुँचा सके। मृतकों में भारतीय वायु सेना, नौसेना और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी भी शामिल थे।


हमलावर और उनका मकसद

हमले की जिम्मेदारी 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली। TRF, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का एक नया चेहरा है, जिसे 2019 में बनाया गया था ताकि अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा से अपनी दूरी दिखा सके। TRF ने पहले भी कश्मीर में कई सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की हत्याएं की हैं।


हमलावरों ने कश्मीर में जनसंख्या परिवर्तन (Demographic Change) के विरोध में हमला करने का तर्क दिया। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में गैर-कश्मीरियों को जमीन खरीदने और बसने का अधिकार मिला था, जिसका TRF जैसे संगठनों ने विरोध किया।


जांच और कार्रवाई

घटना के तुरंत बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच शुरू कर दी। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने चश्मदीदों के बयानों के आधार पर तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए: आसिफ फौजी उर्फ मूसा, सुलेमान शाह उर्फ यूनुस, और अबू तल्हा उर्फ आसिफ। ये सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और दो विदेशी नागरिक थे।


भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया। आतंकवादी हमले के बाद ऊंची पहाड़ियों की ओर भाग गए थे, जिन्हें पकड़ने के लिए हेलीकॉप्टरों का भी इस्तेमाल किया गया।


मानवीय प्रतिक्रिया

हमले के बाद स्थानीय लोगों ने साहस और मानवता का परिचय दिया। स्थानीय टट्टू वालों ने घायलों को अपने टट्टुओं और अस्थायी स्ट्रेचरों के सहारे सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया। कश्मीर के गुरुद्वारों ने पर्यटकों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए और उन्हें भोजन और आश्रय दिया।


जम्मू-कश्मीर सरकार ने मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल लोगों को 2 लाख रुपये, जबकि मामूली रूप से घायल लोगों को 1 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की।


राजनयिक प्रभाव

इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और भी बिगड़ गए। भारत ने पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी समूहों पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया और कई कड़े कदम उठाए:


सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित कर दिया।


अटारी बॉर्डर पर मुख्य प्रवेश द्वार बंद कर दिया गया।


भारत में पाकिस्तानी सैन्य सलाहकारों को निष्कासित किया और पाकिस्तान से भारतीय सलाहकारों को वापस बुला लिया।


पाकिस्तान के नागरिकों के वीजा रद्द किए और SAARC वीजा छूट योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी।


पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए जवाबी कार्रवाई में शिमला समझौते को निलंबित कर दिया, भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया, और भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। इसके बाद नियंत्रण रेखा पर भी छोटे-मोटे संघर्ष शुरू हो गए।


वैश्विक प्रतिक्रिया

विश्व समुदाय ने इस हमले की कड़ी निंदा की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित कई नेताओं ने दुख व्यक्त किया और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की। इस घटना ने क्षेत्र में आतंकवाद के खतरे को एक बार फिर उजागर किया और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट प्रयासों की जरूरत पर बल दिया।


2025 का पहलगाम हमला सिर्फ निर्दोष पर्यटकों पर हमला नहीं था, बल्कि यह एक सोची-समझी साजिश थी जो क्षेत्र में अस्थिरता और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के मकसद से रची गई थी। इस घटना ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारत के सामने मौजूद चुनौतियों और पाकिस्तान के साथ जटिल रिश्तों को एक बार फिर उजागर कर दिया।


हालांकि स्थानीय लोगों की बहादुरी, सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई और वैश्विक समुदाय की एकजुट निंदा ने यह दिखा दिया कि आतंकवाद के खिलाफ दुनिया आज भी एकजुट है। फिर भी, यह हमला इस बात की गंभीर याद दिलाता है कि क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के लिए अभी बहुत काम बाकी है।

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